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बिखरी हूं मैं लेकिन ....... ??
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बिखरी हूं मैं लेकिन बेहिसाब नहीं
हर कोई पढ़ सके मुझे , मैं वो किताब नहीं
दुखड़े सुनाना, आंसू बहाना मेरी फितरत नहीं
रोती नहीं जब तक दुखते मेरे जज़्बात नहीं
यूं तो चुप रहना संस्कार हैं मेरे, आदत नहीं
इसलिए देती मैं अक्सर किसी को जवाब नहीं
पर इसे मेरी कमजोरी मत समझ लेना मुरसिद
मैं पर्दा निगाहों से करती हूं, जनाब
सर पर पहनती कोई हिजाब नहीं !!
© Rekha pal
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बिखरी हूं मैं लेकिन बेहिसाब नहीं
हर कोई पढ़ सके मुझे , मैं वो किताब नहीं
दुखड़े सुनाना, आंसू बहाना मेरी फितरत नहीं
रोती नहीं जब तक दुखते मेरे जज़्बात नहीं
यूं तो चुप रहना संस्कार हैं मेरे, आदत नहीं
इसलिए देती मैं अक्सर किसी को जवाब नहीं
पर इसे मेरी कमजोरी मत समझ लेना मुरसिद
मैं पर्दा निगाहों से करती हूं, जनाब
सर पर पहनती कोई हिजाब नहीं !!
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