कभी - कभी..
कभी- कभी लालची भी बनना चाहिए ,
अपने सपनों के लिए,
दुनियाँ कहे पागल तो कहने दो,
उसे थोडी पता है, कि तुम किस लिए पागल हो,
कभी कभी उदास भी हो जाया करो,
तभी तो खुद से मिल पाओगे, सुनो उतनी ही बातें जितना, तुम समझ पाओ किया करो,
किसी के पास उतना ही जाओ
कि दुर जाने पर खुद को सम्भाल पाओ
आंसू अगर आंखों में आ जाये तो बहा दिया करो,
आंखों को भी राहत मिलती है,
कभी- कभी..
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