...

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आँख मांय बाळ सो रहगो
बस हळको सो मन मांय कोई भार सो रहगो
थाने बिदा करण रो, ओ कोई घाव सो रहगो

यारो अब तो साॅंसां भी रूकगी, नब्ज भी थमगी
पण आँख्याॅं खुली हीं, अडीक्बो बेकार सो रहगो

आपां दोन्यूं सागै सागै एक ही गेला पर टुळ्या हा
मं नींद में सूत्यो, काफिला को असवार सो रहगो

काच्ची भींत पर म्हारो मांड्योड़ो, माॅंडणो सी तूं
अब कै बो पाणी पड़्यो, माॅंडबो बेकार सो रहगो

अब भी थारी हँसी सुणूं हूं, थारी सुगंध आवे है
आँख खुल्यां पाछें भी आतो, जंजाल सो रहगो

थारी याद एकलो सुख, थारे बिना हीं सगळा दुख
तूं कोनी आणी पछ भी आस, ओ घ्यार सो रहगो

© छगन सिंह राजस्थानी