हम मिलते हैं।
जब भी हम मिलते हैं, मिलकर
बिछड़ से जातें है।
कभी गलतफहमियों के वज़ह से,
तो कभी अपनी इगों की वजह से ।
तकलीफें तो दोनों को होती हैं,
पर महसूस किसी को नहीं होती।
आंखें हर रात भींगती है,
पर दिखाई किसी को नहीं देती।
अंदर ही अंदर दिल तड़पता रहता है,
पर होंठों पर मुस्कुराहट हर वक्त रहती...
बिछड़ से जातें है।
कभी गलतफहमियों के वज़ह से,
तो कभी अपनी इगों की वजह से ।
तकलीफें तो दोनों को होती हैं,
पर महसूस किसी को नहीं होती।
आंखें हर रात भींगती है,
पर दिखाई किसी को नहीं देती।
अंदर ही अंदर दिल तड़पता रहता है,
पर होंठों पर मुस्कुराहट हर वक्त रहती...