"मन का दर्पण देखो..!!!"
वो छल करती है मेरा मन ना माने
वो अबोध पगली दुनियादारी कुछ भी न जाने
देखना है तो ये मत देखो वो इतनी निष्ठुर हुई कैसे
देखना है तो उसके मन का दर्पण देखो
भवनाओं के सागर में बन शीतल जल
उसके अस्तित्व का समर्पण देखो
आंखों की पुतलियों में जो दुःख छुपी है
कैसे किया उसने अपने सुखों का तर्पण देखो...
#aqs_deep
वो अबोध पगली दुनियादारी कुछ भी न जाने
देखना है तो ये मत देखो वो इतनी निष्ठुर हुई कैसे
देखना है तो उसके मन का दर्पण देखो
भवनाओं के सागर में बन शीतल जल
उसके अस्तित्व का समर्पण देखो
आंखों की पुतलियों में जो दुःख छुपी है
कैसे किया उसने अपने सुखों का तर्पण देखो...
#aqs_deep