...

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विचार।
बचपन से ही हम
इक बात सुना करते हैं।
कामयाब लोग हमेशा ही
किताब पढ़ा करते हैं।
हमारे बड़े भी हम को
ये कह कर समझाते हैं,
पढ़ने वाले ही
दुनिया को फतह कर पाते हैं।
किताबों में वह नई नई
मंजिलें पाते हैं।
शब्दों की दुनिया मे
नए रास्ते नज़र आते हैं।
बस अब क्या है इस को सुन कर
कुछ ऐसे नमूने भी सामने आते हैं
जो अपनी मेज़ पर
किताबों का ढ़ेर लगाते हैं।
लेकिन उन में कुछ
और भी अजब से होते हैं
घंटो में ना जाने
कितनी किताबें चट कर जाते हैं।
मगर पता है क्या?
इन पढ़ने वालों की भीड़ में
कुछ ही ऐसे मिल पाते हैं,
जो किताबों की स्याही में
अपनी रोशनी पाते हैं
इन लोगों को देख कर
आश्चर्य मे मैं पड़ जाती हूं
क्या ये मसला है
झुंझला के पूछ जाती हूं।

फिर उन पढ़ने वालों में से
इक सपने मे मेरे आता है
और पता है मुझ को
इक राज़ बता के जाता है
वह कहता है।
In whole life ,
वह कुछ नहीं करता है
जो किताबों में सिर्फ
विचारों को पढ़ता है।
ज़िन्दगी अपनी वही बदलता है
जो पढ़ के उन विचारों पर चलता है।

Fayza.


© fayza kamal