...

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तेरी आदत सी...
नहीं जानती वर्तमान ,ना जानती
भविष्य क्या है मेरा ,
पर तुझे सोचना और तुझमें जीना,
यही जिंदगी चल रही है।

महसूस तो तुम भी करते हो,
कद्र करते हो मेरे प्यार की,
लाख छुपा लो अपने जज्बात,
मेरी आंखें तुझे पहचान रही है।

एक तेरे मोह ने ऐसा बांधा ,
अब कोई मोह रहा नहीं,
हर ज़र्रे में तेरा अक्स दिखना,
शायद "तेरी आदत सी" हो गई है।

खींची चली जा रही हूं,
तेरे साथ बिना किसी डोर के ,
थाम लोगे तुम मुझे हर हाल में,
मन की आवाज यह कह रही है।