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तुम्हारे लिए...
अनकही बातों को
मैं कई बार लिख चुकी हूं
पर न जाने क्यों वो पुरी की पुरी कही नहीं जाती,
वैसे हो सकता है
वह बातें लिखने के लिए बनी ही नहीं हो
ना वो कहने के लिए बनी हो,
हो सकता हैं
वो अनकही बातें सिर्फ़ हमारे
जीने के लिए बनी हो,
और वो अधूरी बातों का टुकड़ा अपने लिए
तुम्हें मांगता है...
क्यों की हमारे रिश्ते में तो अब भी कुछ नहीं बदला
सिवाय तुम्हारे मन के....
© Mishty_miss_tea
मैं कई बार लिख चुकी हूं
पर न जाने क्यों वो पुरी की पुरी कही नहीं जाती,
वैसे हो सकता है
वह बातें लिखने के लिए बनी ही नहीं हो
ना वो कहने के लिए बनी हो,
हो सकता हैं
वो अनकही बातें सिर्फ़ हमारे
जीने के लिए बनी हो,
और वो अधूरी बातों का टुकड़ा अपने लिए
तुम्हें मांगता है...
क्यों की हमारे रिश्ते में तो अब भी कुछ नहीं बदला
सिवाय तुम्हारे मन के....
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