रिवाज और बन्धन
स्त्रियाँ दो तरह की होती हैं
एक जो रिवाजों में बंधी खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं
दूसरी वो जो चाहती है उन्मुक्तता का खुला आसमान
एक को आज़ादी से डर है तो दूसरी को बन्धनों से चिढ़
फिर एक मोड़ आता है जीवन में जहाँ...
एक को खुला आसमान चाहिए
और दूसरी को बन्धन...
जीवन कभी एक राह पर नही चलता न.....
© Garg sahiba
एक जो रिवाजों में बंधी खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं
दूसरी वो जो चाहती है उन्मुक्तता का खुला आसमान
एक को आज़ादी से डर है तो दूसरी को बन्धनों से चिढ़
फिर एक मोड़ आता है जीवन में जहाँ...
एक को खुला आसमान चाहिए
और दूसरी को बन्धन...
जीवन कभी एक राह पर नही चलता न.....
© Garg sahiba