...

3 views

अकेलेपन का संग
अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
सूरज भी अकेला है, चाँद भी अकेला है,
तारे भी अकेले चमकते हैं,
आसमान की गहराई में खोए से।

अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
दरिया भी अकेला बहता है,
पहाड़ भी अकेले खड़े रहते हैं,
जंगल की वीरानगी में चुपचाप।

अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
रात भी अकेली होती है,
दिन भी अकेला चलता है,
हर मौसम अपनी तन्हाई में जीता है।

अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
पेड़ भी अकेले खड़े रहते हैं,
फूल भी अकेले खिलते हैं,
और पत्थर भी अपनी चुप्पी में।

अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
बादल भी अकेले बरसते हैं,
हवाएँ भी अकेले चलती हैं,
और समंदर भी अकेले लहराता है।

अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
इस दुनिया में सब कुछ अकेला है,
फिर भी हम सब मिलकर
इस अकेलेपन का संग मनाते हैं।

अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
अकेलापन जीवन की सच्चाई है,
हर कोई यहाँ अकेला है,
फिर भी हम सब साथ चलते हैं।
© sttd1