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ज़िन्दगी का सफ़र
कवि - संजीत गोयल
कविता का नाम - ज़िन्दगी की सफ़र



ज़िन्दगी गुजर जाती है इंतहानो की दौर से
रात अभी जाती नहीं सुबह का इंतजार रहता है।
बहुत मतलबी निकल गई है ये ज़माना
यहां बिन मतलब का बेशर्त कोई किसी पर कुछ नहीं लुटाता है
ज़िन्दगी गुजर जाती है इंतहानो की दौर से
रात अभी जाती नहीं सुबह का इंतजार रहता है।।
यहां हर इंसान कभी कभी एक - दूसरे के सामने बुरा साबित हो जाते है
क्योंकि जैसा लोग चाहते है वो हम नहीं कर पाते।
डर जाते है लोग जल्द किसी को अपना राज बताने से
क्योंकि इस जमाने में समय नहीं लगता है मजाक बनाने में
ज़िन्दगी गुजर जाती है इंतहानो की दौर से
रात अभी जाती नहीं सुबह का इंतजार रहता है।
भरोसा का नहीं रह गया है यहां अब कोई दौर
यहां हर रोज एक दूसरे को नीचा दिखलाया जाता है
अच्छे साबित हो जाते है वो रिश्ते नाते
जो झूठ की इमारत बनाया करते है
अक्सर टूट जाते है वो शदियो की बनी रिश्ते
जो सच की बुनियाद पर झोपडी बनाया करते है
ज़िन्दगी गुजर जाती है इंतहानो की दौर से
रात अभी जाती नहीं सुबह का इंतजार रहता है।

© Sanjeet Goyal

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