...

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एक डोर थी कच्ची
एक डोर प्यार की,,
वो प्यार की डोर तुमने मेरे हाँथो मे रखी
जो डोर मैने थाम ली
डोर वो जिसमे मैने अपने एहसास की फूल पिरोये थे
तो तुमने भी उन पिरोए हुए फूलों सो बड़े प्यार से सजाया था
एक खूबसूरत हार बन गया हमारे ज़ज़्बातों का
हम दोनो ने ही उस डोर को...