मैं और जिंदगी
कि मैं कहीं और
ज़िन्दगी, कहीं और जा रही है
मंदिर, गुरुद्वारा, बंजारों की बस्ती
मैं फिरता फाकाकशी में
ये मदमस्त जाम पिए जा रही है
...
ज़िन्दगी, कहीं और जा रही है
मंदिर, गुरुद्वारा, बंजारों की बस्ती
मैं फिरता फाकाकशी में
ये मदमस्त जाम पिए जा रही है
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