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हम भारतीय हैं..
हम भारतवासी हैं

रघुवीर के वंशज हैं हम, वासुदेव का हैं अभीमान
सत्य हैं सिद्दार्थ का, बसा हममे वर्धमान का त्याग।
पुरातन सभ्यता के साक्षी हैं हम, रचे हैं हमने वेद पुराण,
शल्य चिकित्सा, योग, आयुर्वेद का दिया हमने विश्व को ज्ञान।

क्षत्रियों का है रक्त प्रवाह, है ब्राम्हणों सा संस्कार,
वैश्यों सी चतुराई हममे,है निष्ठा शुद्र समान।
बाल्मीकि,काली सूर,तुलसी दास,कवियों में सर्वश्रेष्ठ।
बाणभट्ट ,कौटिल्य, कल्हण ने किया हमें महान गाथाओं को भेंट।

मार्ग हमारा कौन अवरुद्ध करे,है किसकी बिसात
विश्व विजेता सिकंदर ने भी,चखा है हमसे पराजय का स्वाद।
पोरस, चंद्रगुप्त जैसे सूरवीर हैं एक से एक
अशोक, समुंद्रगुप्त से मिला हमें, शांतिसंदेश।

चौहानो सा अडीग हैं हम,कर सकी न मृत्यु भयभीत।
पद्मावती पन्नाधाय के बलिदान की, है हमपर छाप अमिट।
आल्हा-ऊदल सा शौर्य सीने में,मातृभूमि पर अर्पित हैं प्राण।
गुरुनानक ने सिखाया है हमे,कर्त्यवपरायणता का पाठ।
गोविंद जी के लाल ने दिया, साहस का अटल प्रमाण।
महाराणा के चेतक ने भी यहाँ, रखा है भक्ति का मान।

सिख,मराठा द्रविण, राजपूत, नाम हमारे अनेक।
देशभक्ति, वीरता, सहिष्णुता का हम पर्याय
सिर्फ भिन्न भिन्न हैं भेष।
बन रानी लक्ष्मी, दुर्गा हमने,तोडा अतिताइयों का गुरूर,
एकछत्र राज करने का उनका स्वप्न किया है चकनाचूर।

क्रांति के हम भागीदार थे, बापू, सुभाष के संग
भगत,आज़ाद,सरदार हम ही थे,थे हम ही वीर मंगल।
हर नर है क्षत्रिय यहाँ,नारी हैं क्षत्राणियां
अंग्रेजी सत्ता की नींव हिला, तोड़ी हमने पराधीनता की बेड़ियाँ।

पर्वत हमसे क्या टकरायेगा,हमने तो सागर भी लाँघ दिए।
दृढ़निश्चयी हमने पत्थरों के सेतु बाँध दिए।
गुरुदक्षिणा में हमने, किये हैं शीश का दान।
भक्तिप्रेम के वशिभूत हो, किया है विष का पान।

सिद्धो कान्हू, बिरसा भगवान हमारे,हैं अमर अविनाशी
प्रकृति के रक्षक हैं, वीर धरतीपुत्र आदिवासी।
धर्म अलग,हैं जाति अलग हैं अलग भाषा, परिधान।
गौरवशाली गाथाओं का संगम हैं हम,
है भारतीयता पहचान।

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