...

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Ishq
"मैं एक चाँद लफ़्ज़ हूँ
और तू एक चाँद सी कविता
मैं मात्र काले-सफेद का चित्र हूँ
और तू एक रंगीन सी कला
मैं सूरज की एक लिपटी हुई रौशनी
और तू रात की चाँदनी, मैं एक चमकाने वाला सितारा
मैं एक टूटा हुआ तारा
तू है माँगी हुई ख्वाहिश
मैं नदी किनारा का एक पत्थर सा
और तू जगमगाता हुआ एक कोहिनूर सा
मैं खालीपनों में एक खोया हुआ सवाल
और तू उन जवाबों का एक किताब सा
मैं बारिश की बूँदों में से एक
और तू गहरा सागर सा
मैं सपनों में घिरा हुआ एक शायर
और तू एक जीने की वजह सा
मैं पुरानी बातों का भुला हुआ किस्सा
और तू इस महफ़िल की मशहूर कहानी
मैं इश्क़-ए-दास्ताँ
और तू मोहब्बत का एक नयाब सितारा
मैं ज़ख़्म से लिपटा हुआ लहू
और तू ज़ख़्म में एक मरहम सा"