...

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एक ही बात
वो मुझसे इतना प्रेम किया करती थी
मेरी हर अच्छी बात उसे बुरी लगती थी
उसकी झूठ के अंशु में यू भीग जाता था
चाह के भी मन का छत्ता खोल नहीं पाता था
लम्बी गाड़ी महंगे कपड़े उसके थे शॉक निराले, और हम थे सीधे साधे साइकिल वाले
उसके पीछे थे ऑडी वाले पर हमसे कमजोर थे सब साले.
एक बात सोच के हस्त हूं अगर वो मेरे साथ होती तो वो हस्ति मै रोता पर क्या करे आखिर में सबके साथ अच्छा ही होता है
ये प्रेम एक खुला पिंजड़े का तोता है.

अखिलGowalvanshi