सफ़र आगे बढ़ाओ
*सफ़र आगे बढ़ाओ*
अगर अपनी ही मर्जी से, सबकुछ होता जाएगा
फिर ज़िन्दगी का मजा, बिल्कुल भी ना आएगा
ना कर्म होगा ना मेहनत होगी, ना पसीना बहेगा
ना किसी को बोल पाओगे, ना कोई तुम्हें कहेगा
कोई कमी भी ना रहेगी, सब ख्वाहिशें पूरी होगी
कोई संघर्ष ना होगा, मगर ज़िन्दगी अधूरी होगी
एक अज़ीब सा खालीपन, दिल में ठहर जाएगा
क्या करूँ...
अगर अपनी ही मर्जी से, सबकुछ होता जाएगा
फिर ज़िन्दगी का मजा, बिल्कुल भी ना आएगा
ना कर्म होगा ना मेहनत होगी, ना पसीना बहेगा
ना किसी को बोल पाओगे, ना कोई तुम्हें कहेगा
कोई कमी भी ना रहेगी, सब ख्वाहिशें पूरी होगी
कोई संघर्ष ना होगा, मगर ज़िन्दगी अधूरी होगी
एक अज़ीब सा खालीपन, दिल में ठहर जाएगा
क्या करूँ...