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ख़ास न्योता
न्योता मिला था तुम्हें, इश्क़ का इक़रार करने को,
पास बुलाकर हमें मोहब्बत नहींँ, दोस्त बना लिया।
दास्तान अपने मोहब्बत का लिखना चाहा हमने,
दरीचे पर ही मज़ार तक का रास्ता था दिखा दिया।
कहने को तैयार थे, तेरे सितम सारे सह जाने को,
इस दिल को ज़ार-ज़ार कर टूकडों में सना लिया।
इक़रारनामा लिखवा ना पाए कभी हम तेरे संग,
दिल की दस्तावेज़ में यह गुनाह हमने लिखा लिया।
कहने को तो हजार मिल जाएंगे हमें राहगुज़र यूँ,
तेरे जैसा यार ना मिलेगा हमें, नसीब को बता दिया,
हमसफ़र कहूँ या दोस्त कहूँ, थोड़ा कश्मकश में हूँ,
तुम्हें ख़ुदा बनाकर ज़िन्दगी की दिल में ही बसा लिया।
© LopaTheWriter
#lopathewriter
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