...

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ग़ज़ल 2

कोई खामोश है यहाँ मुलाक़ात होने के बाद
कुछ बातें रह जाती हैं बात होने के बाद

दामन ए शब में चमक रहा है महताब मगर
नींद कहाँ आती है अब रात होने के बाद

जीत की ख्वाहिश किसे लुभाती नहीं है दोस्त
हार बहुत चुभती है मगर...