...

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बुलंदियों से भरे हौसलें…!!!!
जब राह के काटें भी पग को छलनी कर जाएं…
जब आसमां में ऊँचा उड़कर फ़िर नीचे गिर जाएं।।
जब आशाओं की सारी किरणें कहीं विलुप्त हो जाएं…
जब सफ़लता का मूल-मंत्र भी कहीं गुप्त हो जाएं।।
जब बाधाएं जीवन-पथ में आ जाएं…
जब प्रलय की घनघोर घटाएं छा जाएं।।
जब हम हताश हो जाएं…
जीवन से निराश हो जाएं।
जब उम्मीदें टूट कर बिखर जाएं…
जब ख़ुद को हारा पाकर-
सोचें, हम कहाँ जाएं और किधर जाएं।।
तब-
योद्धा की भांति, फ़िर खड़े होकर लड़ना होगा…...