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पहचान
#पहचान
बनेगा जो सास्वत वही आधार होगा,
पहचान तेरा नाम अपितु काम होगा;
आख़िरी सांस लेने से पहले,
हाथो में तेरे कर्म का प्रमाण होगा ।
नहीं ये दुनिया चलती पैसों से ,
कहने वाले कहते रहे ऐसो से।
हाथ की लकीरें नहीं है किस्मत,
इन्हीं हाथों से बनी है अस्मत।
ये बातें नहीं है निराधार,
हैं गीता का ये सार,
हैं जगत का ये आधार,
चलता कर्मों से संसार।

कर प्रण अभी से की तू कुछ काम करेगा,
समय-असमय कहीं न बहेगा ।
जग में निज अपनी पहचान बनेगा ।