आज गजल लिखने का मन किया...
आज गजल लिखने का मन किया , मगर ‘मीरब’ ने मना कर दिया...
अब शायरी लिखने बैठे थे हम , तो शायर ने गुना दाखिल कर दिया...
लिखने का मौका हमें मिलता रहा , मगर खत भिजवाना छोड़ दिया...
अब तुमसे क्या छुपाना ‘मीरब’ , तेरे गालिब ने उन्हें चाहना छोड़ दिया...
आज से हमने...
अब शायरी लिखने बैठे थे हम , तो शायर ने गुना दाखिल कर दिया...
लिखने का मौका हमें मिलता रहा , मगर खत भिजवाना छोड़ दिया...
अब तुमसे क्या छुपाना ‘मीरब’ , तेरे गालिब ने उन्हें चाहना छोड़ दिया...
आज से हमने...