...

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एक कविता
मैं एक रात तुम्हारे सिरहाने
एक कविता छोड़ जाऊंगी,
ये बिना सोचे कि वो अच्छी
है या बुरी...

अगली सुबह जब उनिंदी आंखो से
जिनमे अब भी बीती रात के जज़्बात होंगे,
तुम मेरे कोरे शब्दों को पढ़ना
जो मैंने सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी कल्पना
कर के लिखी है,उम्मीद है मुझे
उसमे सिमटे जज़्बात तुम्हारे दिल को
छू जाएंगे...

जो बात मैंने तुमसे कभी ना कहीं होगी,
जो एहसास मैंने कभी ना कराया होगा तुमको,
जो दर्द तुमने कभी भी महसूस ना किया होगा मेरा,
जो तकलीफ़ मन में दबाए, मैं ये अल्फ़ाज़
लिख रही हूं,
उन सब से तुम्हारा सामना होगा,
यकीन है मुझे, उस दिन मै तुम्हारी
रूह से मिल लूंगी फिर हमारे बीच कोई
फासला ना होगा।

#कविता
#मेरेशब्द
#तुम्हारेलिए

© Dipanshi