...

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गुरुवर
पावन पुनीत दिन ये आषाढ़ शुक्ल गुरु पूर्णिमा"
गुरु पूजन को मैं चली लेकर गुलाब की कलियां"
गंगाजल से चरण पखारूं"
गले पुष्प हार सजाऊं'
चंदन कुमकुम भाल सजाऊं"
धूप दीप संग आरती गाऊं
नवैद चढ़ा कर विनती सुनाऊं
अपने गुरु जी की सेवा में ,
मैं तो दिन रात बिताऊं..!!
जीवन पर्यंत ना ये ऋण चुका पाऊं"
विद्या रूपी अनुपम उपहार"
गुरु जी बिन कैसे मैं पाऊं..??
ध्यान लगाऊं गुरु गुण गाऊं "
श्रद्धा सुमन अर्पित कर ,
मैं तो अति हर्षाऊं "
जीवन को मेरे राह दिखाने के लिए,
अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने के लिए,
गुरुवर अपको किरण का कोटि-कोटि नमन।।
हे मेरे प्रभु....हे मेरे पथ प्रदर्शक,
किस विधि करूं मैं आपकी वंदना...??
किरण