" चमचों की बल्ले बल्ले "
काम की कद्र है कहां,
बराबर कर्मठ और निठल्ले हैं
इस युग में तो केवल, चमचों
की ही बल्ले बल्ले है
गुण बुद्धि हो या ना हो
तुम केवल इतना काम करो
चाटुकार बनो तबीयत से,
ऐश करो, आराम करो
गर हो तुम खुद्दार, समझ लो
मालिक को न भाओगे
चमचागिरी में माहिर हो तो
खूब...
बराबर कर्मठ और निठल्ले हैं
इस युग में तो केवल, चमचों
की ही बल्ले बल्ले है
गुण बुद्धि हो या ना हो
तुम केवल इतना काम करो
चाटुकार बनो तबीयत से,
ऐश करो, आराम करो
गर हो तुम खुद्दार, समझ लो
मालिक को न भाओगे
चमचागिरी में माहिर हो तो
खूब...