रुक जाओ ना
इतनी भी क्या जल्दी थी तुम्हें जाने की,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
बेइंतहा मोहब्बत हम भी कभी जताते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
तुम रखते अपना सिर मेरे कांधे पर,
हम तेरे बालों को सहलाते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
तुम पुकारते जब नाम मेरा हम दौड़े चले आते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
रूम नहीं तुमको हम अपने घर ले जा कर
अपनी माँ से मिलाते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
बाहर का पिज्जा बर्गर नहीं तुम्हें अपने हाथ से कुछ बना कर खिलाते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
होती गर...
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
बेइंतहा मोहब्बत हम भी कभी जताते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
तुम रखते अपना सिर मेरे कांधे पर,
हम तेरे बालों को सहलाते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
तुम पुकारते जब नाम मेरा हम दौड़े चले आते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
रूम नहीं तुमको हम अपने घर ले जा कर
अपनी माँ से मिलाते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
बाहर का पिज्जा बर्गर नहीं तुम्हें अपने हाथ से कुछ बना कर खिलाते,
तुम थोड़ा रुक तो जाते,
होती गर...