कई सवाल
एक कहानी थी
जो मिटा मिटा कर लिखती थी ।
खूबसूरत और हसीन
एक कोई नज्म थी
जो गुणगुनाया करती थी।
एक कोई ख़्वाब देखा
जो रोज सजाया करती थी
कहानी मिट ही गई
नज्म भूल गयी और अनसुनी रही
ख़्वाब अँधेखा कर दिया.
तब से अकेलेपन ने मेरा साथ दे दिया
रात की सियाह खुबसूरत लगने लगी
लोगो से डरने लगी, फिर चुप रहने लगी
खामोशी लोरिया सुनाने लगी
ख़ूबसूरत और हसीन
बाते चुबती है
उफ्फ़ ये लोग चुप क्यों नहीं रहते।
क्या कभी खामोशी इन्हे लोरी...
जो मिटा मिटा कर लिखती थी ।
खूबसूरत और हसीन
एक कोई नज्म थी
जो गुणगुनाया करती थी।
एक कोई ख़्वाब देखा
जो रोज सजाया करती थी
कहानी मिट ही गई
नज्म भूल गयी और अनसुनी रही
ख़्वाब अँधेखा कर दिया.
तब से अकेलेपन ने मेरा साथ दे दिया
रात की सियाह खुबसूरत लगने लगी
लोगो से डरने लगी, फिर चुप रहने लगी
खामोशी लोरिया सुनाने लगी
ख़ूबसूरत और हसीन
बाते चुबती है
उफ्फ़ ये लोग चुप क्यों नहीं रहते।
क्या कभी खामोशी इन्हे लोरी...