वो भी क्या हसीन आलम होता है
वो भी क्या हसीन आलम होता है
ज़ब ढलते हुए सूरज के लिए
शाम विभिन्न रंगों से अपना श्रृंगार करती है
सूरज को अलविदा कर पंछी घर को लौटते है
उनके नन्हे नन्हे बच्चे हलकी सी चहचहाहट से उनका स्वागत करते है
शाम को तेरा छत पे आना
और मेरा...
ज़ब ढलते हुए सूरज के लिए
शाम विभिन्न रंगों से अपना श्रृंगार करती है
सूरज को अलविदा कर पंछी घर को लौटते है
उनके नन्हे नन्हे बच्चे हलकी सी चहचहाहट से उनका स्वागत करते है
शाम को तेरा छत पे आना
और मेरा...