पंचतत्व की पुकार
पंचतत्व की पुकार
(धरती)
मिट्टी की खुशबू, जीवन का आधार,
माँ की ममता, सहती हर भार।
अंकुर फूटे, हरी हो ये धरा,
प्रेम का बीज, हर दिल में भरा।
(जल)
नदी की धारा, बहती अनमोल,
आँखों में आँसू, मन का ये बोल।
प्यासे को अमृत, जीवन का सार,
स्वच्छता में ही, है सबका उद्धार।
(अग्नि)
अग्नि की ज्वाला, देती है...
(धरती)
मिट्टी की खुशबू, जीवन का आधार,
माँ की ममता, सहती हर भार।
अंकुर फूटे, हरी हो ये धरा,
प्रेम का बीज, हर दिल में भरा।
(जल)
नदी की धारा, बहती अनमोल,
आँखों में आँसू, मन का ये बोल।
प्यासे को अमृत, जीवन का सार,
स्वच्छता में ही, है सबका उद्धार।
(अग्नि)
अग्नि की ज्वाला, देती है...