क्या हम दुबारा मिलेंगे
पत्थर पे दूब उगेंगे
क्या हम दुबारा मिलेंगे
बिछड़े कभी जिस अदा से
वो पल कैसे भूलेंगे
राहें जो खार भरी थीं
क्या उन पे फूल बिछेंगे
इस भूल में रहे बैठे
वो हमसे वफा करेंगे
जिनकी चाहत आज़ाबी ...
क्या हम दुबारा मिलेंगे
बिछड़े कभी जिस अदा से
वो पल कैसे भूलेंगे
राहें जो खार भरी थीं
क्या उन पे फूल बिछेंगे
इस भूल में रहे बैठे
वो हमसे वफा करेंगे
जिनकी चाहत आज़ाबी ...