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नीड़ का निर्माण फिर-फिर


हिंदी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवि, डॉ हरिवंश राय बच्चन की जयंती पर कोटि-कोटि नमन

उनकी स्मृति के लिए उनकी एक कविता जो बचपन से मेरे दिल के करीब है

नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्वान फिर-फिर!

वह उठी आँधी कि नभ में
छा गया सहसा अँधेरा,
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भाँति घेरा,

रात-सा दिन हो गया, फिर
रात आ‌ई और काली,
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा,

रात के उत्पात-भय से
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान...