मृगतृष्णा
#चाँदसमुद्रसंवाद
© Nand Gopal Agnihotri
थोड़ा और चला आ नीचे,
ओ आसमान के चंदा।
तुझे छूने को ललक रही हैं,
मेरी लहर उतंगा।
आ जा थोड़ा नीचे,
अपने जल से मैं नहला दूं।
रखकर अपने गर्भ में तुझको,
अपने रत्नों...
© Nand Gopal Agnihotri
थोड़ा और चला आ नीचे,
ओ आसमान के चंदा।
तुझे छूने को ललक रही हैं,
मेरी लहर उतंगा।
आ जा थोड़ा नीचे,
अपने जल से मैं नहला दूं।
रखकर अपने गर्भ में तुझको,
अपने रत्नों...