...

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सच्ची बातें....
सारा ज़माना जब खिलाफ बोलता हैं
तो समझ ले के तू साफ़ बोलता हैं

जो लोग बहुत ख़ामोश रहा करते हैं
ज़माने में उनका हूनर बोलता हैं

दफन कर दो इसे तुम चाहे कितना
ज़मीं से निकल के इंसाफ बोलता हैं

मेरा कोई हुनर शामिल नहीं इसमें
बस लहजे में मेरा संस्कार बोलता हैं

लाख कोशिश करें हम दूरी मिटाने की
चेहरों से मगर मतभेद बोलता हैं

नई है पीढ़ी मुरव्वत से नहीं वाक़िफ़
बेटा अब तो बाप से साफ़ बोलता हैं

बुरे वक़्त में तूने मदद की हो जिसकी
अक्सर वही तेरे खिलाफ बोलता हैं

© King Vinay