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मैं महाभारत दोबारा नहीं चाहती... लेकिन लगता है तुम लोग मानोगे नहीं..
तुम हमें यूं ही काट काटकर टुकड़ों में सुलाते रहो धीरे-धीरे,
जिस दिन जगूंगी मैं,डालकर पेट्रोल तुम्हें आग में जिंदा जलाऊंगी।

मेरे बर्दास्त की हद मत देखना वरना अंजाम बहुत बुरा होगा,
मरने भी नहीं दूंगी जीते जी तुम्हारी यह जिंदगी नर्क बनाऊंगी।

मेरी खामोशी को शायद मेरी कमज़ोरी मान बैठे हो तुम लोग,
तुम सब राक्षस बन गए हो, अब मैं भी काली बन जाऊंगी।

फिर से कह रही हूं अति मत करो,इंसान हो,इंसान बनके रहो,
वरना त्याग दूंगी ये धैर्य अपना, मैं भी अस्त्र-शस्त्र उठाऊंगी।

हम हिंदुस्तान की नारियां यहीं के नियमों का पालन करती हैं,
पहले छेड़ते नहीं किसी को,बाद में छोड़ना तो बिल्कुल नहीं चाहूंगी।
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