...

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खोखला समाज

यह दुनिया कितनी खूबसूरत,
हर तरफ नफरत का दरिया है।
इस नफरत की आग में सब झुलस रहे हैं,
बाकी सब तो बढ़िया है।।

लोग इंसान में मजहब तलाशते हैं,
मुझे तो इंसान में, इंसान भी नहीं दिखता है।
आजकल तो हर भगवान छोटे बड़े रूपों में बिकता है।।

लोग परेशान हैं, देश परेशान है।
परेशान सारा जहां है।
इंसान ही इंसान का दुश्मन बना,
आजकल उनमें इंसानियत बची ही कहां है।।

मुझे समझ नहीं आता कि ,
क्यों किसी को समझ नहीं आता।
सब अपना भविष्य तबाह कर रहे हैं,
यह किसी को क्यों दिखाई नहीं देता।।

पता नहीं किसने इन धर्मों का फर्क किया,
किसने यह जहर घोल दिया है।
देखो आज खुद के साथ साथ,
दूसरों का घर भी उजाड़ दिया है।।