प्रियम भारतम
// #प्रियम_भारतम //
हे पावन धरा हे प्रियम भारतम वसुन्धरा,
अतिरेक सुन्दर रमणीय प्रिय -देव- धरा;
मणिक- हिमालय सुंदर मुकुट माथ धरा,
नित पग धोए तेरे हिंद- महासागर धारा।
प्राण- प्रिय जन्मभूमि पूर्वज की धरोहर,
इत चहुं दिशा बहते निर्मल नील सरोवर,
मनमोहे निर्मल बहे गंगातरंगनी मनोहर;
गंगा -यमुना- सरस्वती त्रिवेणी है, उत्तर।
उत्तर -पर्वत दक्षिण- सागर पूर्व मेघ द्वार,
हर...
हे पावन धरा हे प्रियम भारतम वसुन्धरा,
अतिरेक सुन्दर रमणीय प्रिय -देव- धरा;
मणिक- हिमालय सुंदर मुकुट माथ धरा,
नित पग धोए तेरे हिंद- महासागर धारा।
प्राण- प्रिय जन्मभूमि पूर्वज की धरोहर,
इत चहुं दिशा बहते निर्मल नील सरोवर,
मनमोहे निर्मल बहे गंगातरंगनी मनोहर;
गंगा -यमुना- सरस्वती त्रिवेणी है, उत्तर।
उत्तर -पर्वत दक्षिण- सागर पूर्व मेघ द्वार,
हर...