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एक शख्स ऐसे मिल गया,,,
एक शख्स राहों में मुझे कुछ ऐसे मिल गया,
हो कोई बिछड़ा पुराना यार जैसे मिल गया,
और बह गया था वक्त की आंधी में मकां सा मैं,
वो मिला ऐसे की अन्धे को सहारा जैसे मिल गया,
मेरी खुश्क शामों को उम्मीद-ए-सहर कर डाला,
सुरमई आंखों को बीनई का जहां जैसे मिल गया,
मेरे दिल के बहर ओ बर में घर कर गया वो शख्स,
खाली पड़े मकां को, किरायेदार जैसे मिल गया,
क़िस्सा-ए-मुख़्तसर अब उससे रकीब तक का है,
बे वस्ल राबता उससे जुनूं तलक का जैसे मिल गया,
तस्लीम-ओ-रज़ा हूं मैं उससे, सब मुश्किलें आसां,
हर तकलीफ को मेरी नेक-तदबीर जैसे मिल गया,
हुआ है तर्ज़-ए-सुख़न बेहतर तब्दील कर रहा हूं मैं,
मेरी गजलों को शा'इर-ए-अज़ल, जैसे मिल गया,
और नवाजा है नेक दुआओं से उसे अ मेरे मालिक,
दे दर्जा कैफियत को उसकी तैर को चर्ख़ जैसे मिल गया,
© #mr_unique😔😔😔👎
हो कोई बिछड़ा पुराना यार जैसे मिल गया,
और बह गया था वक्त की आंधी में मकां सा मैं,
वो मिला ऐसे की अन्धे को सहारा जैसे मिल गया,
मेरी खुश्क शामों को उम्मीद-ए-सहर कर डाला,
सुरमई आंखों को बीनई का जहां जैसे मिल गया,
मेरे दिल के बहर ओ बर में घर कर गया वो शख्स,
खाली पड़े मकां को, किरायेदार जैसे मिल गया,
क़िस्सा-ए-मुख़्तसर अब उससे रकीब तक का है,
बे वस्ल राबता उससे जुनूं तलक का जैसे मिल गया,
तस्लीम-ओ-रज़ा हूं मैं उससे, सब मुश्किलें आसां,
हर तकलीफ को मेरी नेक-तदबीर जैसे मिल गया,
हुआ है तर्ज़-ए-सुख़न बेहतर तब्दील कर रहा हूं मैं,
मेरी गजलों को शा'इर-ए-अज़ल, जैसे मिल गया,
और नवाजा है नेक दुआओं से उसे अ मेरे मालिक,
दे दर्जा कैफियत को उसकी तैर को चर्ख़ जैसे मिल गया,
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