#मेरे दोस्त
खा-म-खा बदनाम है जो इश्क़ में बीमार है
हम कहें वो पारसी जो इश्क़ में सरशार है...
खुशनसीबी में जिये हैं पास जिनके प्यार है
थी उठी अब झूक चुकी वो सैकड़ों तलवार है...
दास्तान-ए-इश्क़ लिख रहे जो मददगार हैं
रात काली है मगर हम नींद से बेदार हैं...
ये न कहना साथ तेरे कौन है ऐ मोहतरमा
फ़िक्र करता रहती है जिनके पास उनके यार हैं...
हम कहें वो पारसी जो इश्क़ में सरशार है...
खुशनसीबी में जिये हैं पास जिनके प्यार है
थी उठी अब झूक चुकी वो सैकड़ों तलवार है...
दास्तान-ए-इश्क़ लिख रहे जो मददगार हैं
रात काली है मगर हम नींद से बेदार हैं...
ये न कहना साथ तेरे कौन है ऐ मोहतरमा
फ़िक्र करता रहती है जिनके पास उनके यार हैं...