आरम्भ
“आरंभ कर तू खुद को जानकर,
तभी पहुँच पाएगा आसमान पर।
खुद के ही हाथों खुद को तराश ले,
आत्मसमर्पण से जीत...
तभी पहुँच पाएगा आसमान पर।
खुद के ही हाथों खुद को तराश ले,
आत्मसमर्पण से जीत...