...

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बिता कल
अब वो वहाँ नही रहती,
जिसकी खिड़की पर टक टकी,
लगाए बैठे रहते थे हम |

ऐसा नही था की,
नज़रों को कुछ और दिखा नहीं,
नूर ऐसा की...