...

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" ख़ामोश इश्क "
तब से बड़ा अंजान था मैं, मगर अब जान गया हूं।
मैं आपकी अदाओं का मारा, फुले दिल भर आया हूं।
हमें खेद है, इतने दिन जो बांवरा बन सताया हूं।
फिर भी खाली हाथ से, ये तोहफे लिए आया हूं ।

मतलबी भरी इस दुनिया में, जो तश्करी मैं अपनाया हूं।
बिना कलम- बिना सयाही, बस सयारी लिखते आया हूं।
उस दिन से जब आप मिले, तब से कुछ ना खाया हूं।
प्यार का भूखा मैं फिरा, बस तन्हाईयां ही सुलझाया हूं ।।

है अब भी दर्द और अब भी दुःख, मगर आपसे ना कह पाया हूं।
है डर बस आपके खोने की, जो दिल में है छुपाया हूं।
अब जरूरत भी नहीं बदले इश्क की, मैं एक तरफा फर्ज निभाया हूं।
आप समन्दर रहो- मैं नदियां, बस आप में ही घुलने आया हूं।।

उस चांद से पूछो उसकी रौशनी की, जिसपर प्यार और हर्षा बरसाता धूप।
आप चांद सी सुंदर - मैं तपता सूरज, बस यही कहने आया हूं।।

©harishbearboy