...

3 views

अक्सर वो पूछा करती थी।


क्या हुआ तुझे,
कुछ तो बताओ..
ख़ामोश क्यों हो प्रिय ,
मुझसे आंखे तो मिलाओ..
क्या हुआ?
इतना चुपचाप!
दिल के साफ
होंठो पर किसी के प्रति,
प्यास..
अच्छा नहीं होता!
नाही अकेले में दर्द सहना,
कुछ तो बोलो!
मेरा प्यार सच्चा हैं।
मेरे प्यार के प्रति!
आंखे खोलो!
बोलो! बोलो!
हे प्रिय !
मैं भी दर्द बांटने को तैयार हूं।
जो तुझसे प्यार कर बैठी हूं।
इतना मत छुपाओ!
इज़हार करो!
ये प्यार हैं,
किया हैं!
चोरी तो नहीं..
अपनों से मत छुपाओ यारा!
मैं तो हूं तुम्हारी,
जो कर चुकी यारी!
अब शरमाने की क्या बात हैं।
हे प्रिय बताओ!
इतना मुझे मत सताओ,
हम दोनों ही हैं।
और कोई नहीं हैं,
दोनों के सिवा!

मनोज कुमार

© All Rights Reserved