इतनी सिद्दत से मोहब्बत
आज ये सोच कर आश्चर्य हो रहा है की
कैसे कर लिया था मैंने इतनी सिद्दत से मोहब्बत
वो हसता था तो दुनिया हसीन लगती थी
रो देता था था मेरी जान निकलने लगती थी
हर गम कम पड़ जाते थे उसकी हसीं में
मैं हर दर्द भूल जाती थी उसकी ख़ुशी में
वो हर बार गलत होता था जानती थी मैं
पर ये सच भी मानती नहीं थी मैं
उसकी एक आहट पर मैं नंगे पाँव दौड़ गयी थी
गज़ब के एहसासों तले मैं रौंदी गयी थी
दिल तड़पता था तुम्हारे मुकर जाने से
जैसे मछली तड़प जाती हो पानी के छूट जाने से
वो भी क्या दिन थे जब दिल गुलाब हुआ था मेरा
आज तलक याद है क्या हाल हुआ था मेरा
बड़ी मुश्किल से आज यहाँ मैं ज़िंदा हूँ
आँधियों में जो दिए ना बुझे मैं उनमे से एक चुनिंदा हूँ
© Shweta Rao
कैसे कर लिया था मैंने इतनी सिद्दत से मोहब्बत
वो हसता था तो दुनिया हसीन लगती थी
रो देता था था मेरी जान निकलने लगती थी
हर गम कम पड़ जाते थे उसकी हसीं में
मैं हर दर्द भूल जाती थी उसकी ख़ुशी में
वो हर बार गलत होता था जानती थी मैं
पर ये सच भी मानती नहीं थी मैं
उसकी एक आहट पर मैं नंगे पाँव दौड़ गयी थी
गज़ब के एहसासों तले मैं रौंदी गयी थी
दिल तड़पता था तुम्हारे मुकर जाने से
जैसे मछली तड़प जाती हो पानी के छूट जाने से
वो भी क्या दिन थे जब दिल गुलाब हुआ था मेरा
आज तलक याद है क्या हाल हुआ था मेरा
बड़ी मुश्किल से आज यहाँ मैं ज़िंदा हूँ
आँधियों में जो दिए ना बुझे मैं उनमे से एक चुनिंदा हूँ
© Shweta Rao