...

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इतनी सिद्दत से मोहब्बत
आज ये सोच कर आश्चर्य हो रहा है की
कैसे कर लिया था मैंने इतनी सिद्दत से मोहब्बत

वो हसता था तो दुनिया हसीन लगती थी
रो देता था था मेरी जान निकलने लगती थी

हर गम कम पड़ जाते थे उसकी हसीं में
मैं हर दर्द भूल जाती थी उसकी ख़ुशी में

वो हर बार गलत होता था जानती थी मैं
पर ये सच भी मानती नहीं थी मैं

उसकी एक आहट पर मैं नंगे पाँव दौड़ गयी थी
गज़ब के एहसासों तले मैं रौंदी गयी थी

दिल तड़पता था तुम्हारे मुकर जाने से
जैसे मछली तड़प जाती हो पानी के छूट जाने से

वो भी क्या दिन थे जब दिल गुलाब हुआ था मेरा
आज तलक याद है क्या हाल हुआ था मेरा

बड़ी मुश्किल से आज यहाँ मैं ज़िंदा हूँ
आँधियों में जो दिए ना बुझे मैं उनमे से एक चुनिंदा हूँ

© Shweta Rao