...

6 views

सरपरस्त
क्यों ताक-झांक कर रहे पड़ोसी, इसका मुझको पता नहीं।
कब-कब पकी घर मेरे खिचड़ी, इसका मुझको पता नहीं।।

हम क्या कहते और क्या सहते हैं, बात नहीं यह अपनें जानें।
क्यों धकधक सा करे मेरा कलेजा, इसका मुझको पता नहीं।।

हर दर्द दिखाये घूम-घूम वो, जिन ज़ख्मों से न सरोकार मेरा।
मेरे रिसते ज़ख्म को...