...

34 views

बदहाल
जहाँ बना कर वो भी तो
कब यहां खुशहाल रहा
दैरो हरम के झगड़ों में
वो सदा बदहाल रहा

जिसने दिल को दिल समझा,
खुशियों का संसार रचा
उम्मीदों के आंगन में,
वो अश्कों से बेहाल रहा

ग़ुल बनके जब खिलना चाहा,
महक लुटा के जीना चाहा
तक़दीरों में सदा उसी के,
बस कांटों का जंजाल रहा !!


© srs🚀