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बदहाल
जहाँ बना कर वो भी तो
कब यहां खुशहाल रहा
दैरो हरम के झगड़ों में
वो सदा बदहाल रहा
जिसने दिल को दिल समझा,
खुशियों का संसार रचा
उम्मीदों के आंगन में,
वो अश्कों से बेहाल रहा
ग़ुल बनके जब खिलना चाहा,
महक लुटा के जीना चाहा
तक़दीरों में सदा उसी के,
बस कांटों का जंजाल रहा !!
© srs🚀
कब यहां खुशहाल रहा
दैरो हरम के झगड़ों में
वो सदा बदहाल रहा
जिसने दिल को दिल समझा,
खुशियों का संसार रचा
उम्मीदों के आंगन में,
वो अश्कों से बेहाल रहा
ग़ुल बनके जब खिलना चाहा,
महक लुटा के जीना चाहा
तक़दीरों में सदा उसी के,
बस कांटों का जंजाल रहा !!
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