ग़ज़ल 8 : तुम्हें चाहता हूंँ तुम्हें चाहता हूंँ
तुम्हें चाहता हूंँ तुम्हें चाहता हूंँ
घड़ी दो घड़ी की वफ़ा चाहता हूंँ
तिरी ये इनायत सदा चाहता हूंँ
लबों पे तुम्हारी जफ़ा चाहता हूंँ
न तारे सितारे न दिलकश नज़ारे
तुम्हीं पे नज़र...
घड़ी दो घड़ी की वफ़ा चाहता हूंँ
तिरी ये इनायत सदा चाहता हूंँ
लबों पे तुम्हारी जफ़ा चाहता हूंँ
न तारे सितारे न दिलकश नज़ारे
तुम्हीं पे नज़र...