...

3 views

।। जीवन दर्पण ।।
मै एक कविता लिखुंगी,
अपने संघर्ष की कविता
जीवन पथ पर उस पहले क़दम की कविता
जब अपनी नन्ही-नन्ही उंगलियों के बीच
माँ के विश्वास को थाम रखी थी
और साथ ही थाम रखी थी
अपने डगमगाते क़दमों की मर्यादा
ताकी उनका विश्वास मुझसे छूट ना जाये ।

मै एक कविता लिखुंगी
अपने पहले शब्द की कविता
जिसे भावनाओं की चारदीवारी लाँघकर
मै यूँ ही अंजाने में कह गई थी
मेरे शब्द फुटे लरजे बिखरे
फिर एक दिन मुझे समझदारी सीखा गये
और सीखा गये अपनी हुनर
जो नज़र तो आती है मगर खामोश है ।

मै एक कविता लिखुंगी
अपने चरित्र की कविता
जो कोमल शुभ्र कमल की भाँति
मेरे स्वाभिमान को निखारती है
और साथ ही निखारती है मेरे जीवन को
दुनियाँ रंगीनियों से अलग रखकर
ठीक वैसे ही जैसे पंखुड़ियाँ
जल की बूँदों से अलग रहा करती है ।

मै एक कविता लिखुंगी
अपने सपनों की कविता
जिसे पा लेने के जद्दोजेहद में
कुछ उम्मीदें जीवन की दब कर रह गई
और दब कर रह गई मेरी सारी इच्छायें
जिसकी परछाई में मै आगे बढ़ना चाहती थी
मेरी चंचलता मुझसे छल कर गई
लेकिन मुझे शाइस्तगी का सबब दे गई ।

मै एक कविता लिखुंगी
अपनी स्थिरता की कविता
जहाँ सत्य असत्य का भेद करके
प्रकृती को पूर्णतः स्वीकार कर लुँगी
और स्वीकार कर लुँगी अपने यथार्थ को भी
जिसे मै अब तक समझ नही पाई
मै एक नई राह बनाऊंगी
जिसपर चलकर रोशनी की लौ जलाउँगी

हाँ, मै एक कविता लिखुंगी
निर्धारित सत्य की कविता
जिसे जिंदगी के संघर्षों तले हमेशा धुंधला ही पाया
वही परम सत्य...
जब अपना नाम और शोहरत त्यागकर
असीम प्रकाश में विलीन हो जाना पड़ता है
वैसे ही जैसे सारी नदियाँ
अपना नाम और अर्थ खोकर
सागर में मिल जाया करती है

मै एक कविता लिखुंगी
हर बिखरते पन्नें को समेटकर
मै सम्पुर्ण जीवन दर्पण लिखुंगी।

- काजल गोस्वामी