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जरूरी तो नहीं हैं
जरूरी तो नहीं है हर इंसा जिस्मों की चाहत रखता हो,
हो सकता है की वो तुम्हारी नादान हरकतों में मरता हो।
जरूरी तो नहीं तुम्हें छूने को तरसता हो,
हो सकता हैं उसे तुम्हारी जुल्फों की छाँव में सूकून मिलता हो।
जरूरी तो नहीं वो तुम्हें पा लेने की ख़्वाहिश रखता हो,
हो सकता हैं की महज़ तुम्हारी खुशबु से उसका दिन बनता हो।
हो सकता हैं तुम्हारी एक मुसकान के ऊपर वो जान चिडकता हो।
तुम्हारी आँख में आंसू देख खुद रोने लगता हो।
जरूरी तो नहीं वो सिर्फ तुम्हारे ज़िस्म से मोहब्त करता हो,
जरूरी तो नहीं की सिर्फ दिखाने के लिए वो तुमसे इतना प्यार करता हो,
हो सकता है वो सच में तुम्हारी मासूमियत मे मरता हो।
हो सकता हैं की कुछ पल तुम्हारे साथ बिताने के लिए वो दिन रात मेहनत करता हो।
पर,पर ये भी जरूरी नहीं की मूहँ से निकला हर अल्फाज़ सच्चा हो,
हर समय उसका बरताव अच्छा ही हो,
जरूरी नहीं हर कोई जिस्मों की चाहत रखता हो।
जरूरी नहीं हर इसां झूठ का जाल बुनता हो,
हो सकता हैं कोई अपनी सच्चाई का दिखावा ना करता हो।
जरूरी तो नहीं हर कोई दूसरो को खिलौना समझता हो,
जरूरी नहीं हैं की वो तुम्हारे साथ हक वक़्त हो
पर जब तुम्हें सबसे जयादा जरूरत हो वो तुम्हारे साथ खडा हो।
जरूरी नहीं हर इंसा जिस्मों की चाहत रखता हो,
जरूरी नहीं हर इंसा एक सा हो,
जरूरी नहीं हर इसां एक सा हो।

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