...

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sathi
जीवन
के डगर पर चल पड़े हैं
ख्वाहिशों का हाथ था में
सोचा ना समझा निकल पड़े हैं
सपनों के साथ मुस्कुराने
देखा तभी ना राह. है
मंजिल भी काफी दूर थी
तभी तूने हाथ थामा
मंजिल मिलने को मजबूर थी
राहों
की मुश्किलें भी तेरा साथ देख घबरा गई

तेरे संग में जीवन की मंजिलों को पा गई
तेरे बिना मैं कुछ नहीं जीवन मैं...मैं बेमोल हू
तेरे संग इस जग में मैं अनमोल हूं अनमोल हूं