...

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जब आंखो में पानी हो


जब आंखो में पानी हो।
दिल की कहानी हो।
तब ! कैसे किसी के बिन रहा जा सकता हैं।
दूरियों के गम हो।
बिन सनम के जिंदगी हो।
तब! कैसे तन्हा प्यार किया जा सकता हैं।
यादें किसी के प्रति उड़कर
किसी के ख्वाबों तक जाती हो।
तब! कैसे पल- पल दिन गुजारा जा सकता हैं।
मिलन अधूरी हो।
प्यार में दूरी हो।
फिर भी मिलना जरूरी हो।
तब! कैसे बैठकर इंतजार किया जा सकता हैं।
लबों पर प्यार बरसता हो,
किसी के लिए।
रात को नींद करवटें बदलती हो,
किसी के लिए।
तब! कैसे किसी के बिन नींद भर सोया जा सकता हैं।
हृदय में कम्पन हो,
किसी को पाने के लिए।
ओठ सूख गया हो,
बाते करने के लिए।
तब! कैसे खुशी- खुशी किसी के प्रति नगमा गाया जा सकता हैं।
आंखे राहें देखती हो।
दिल किसी पर मरता हो।
बस उनको पाने के लिए,
बार- बार आंहे भरता हो।
तब! कैसे दिल पर हाथरखा जा सकता हैं।।


लेखक/कवि- मनोज कुमार
गोंडा जिला उत्तर प्रदेश

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